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तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं -तुलसीदास तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं। जौ जमराज काज सब परिहरि इहै ख्याल उर अनिहैं॥१॥ चलिहैं छूटि, पुंज पापिनके असमंजस जिय जनिहैं। देखि खलल ...